अध्याय ३: अछूत गाँव के बाहर क्यों रहते हैं?

स्वाभाविक तौर पर इस बारे में किसी का कुछ सिद्धान्त नहीं है कि अछूत गाँव से बाहर क्यों रहने लगे। यह तो हिन्दू शास्त्रों का मत है और यदि कोई इसे सिद्धान्त मान कर उचित कहे तो वह कह सकता है। शास्त्रों का मत है कि अंत्यजो को गाँव के बाहर रहना चाहिये;

मनु का कथन है;
चाण्डालों और खपचों का निवास गाँव से बाहर हो। उन्हे अपपात्र बनाया जाय । उनका धन कुत्ते और गधे हों।(१०.५१.)

मुर्दों के उतरन उनके वस्त्र हों, वे टूटे बरतनों में भोजन करें। उनके गहने काले लोहे के हों और वे सदैव जगह जगह घूमते रहें।(१०.५२.)

इस कथन के दो अर्थ लिये जा सकते हैं..
१. अछूत हमेशा से गाँव के बाहर रहते आये और अस्पृश्यता के कलंक के बाद उनका गाँव में आना निषिद्ध हो गया।
२. वे मूलतः गाँव के अन्दर रहते थे पर अस्पृश्यता का कलंक लगने के बाद उन्हे गाँव से बाहर किया गया।

दूसरी सम्भावना बेसिर पैर की कल्पना ही है क्योंकि पूरे भारत वर्ष में गाँव के भीतर बस रहे अछूतों को निकालकर गाँव के बाहर बसाना लगभग असंभव कार्य लगता है। यदि संभव होता भी तो इसके लिये किसी चक्रवर्ती राजा की ज़रूरत होती, और भारत में ऐसा कोई चक्रवर्ती राजा नहीं हुआ। तो इस दूसरी सम्भावना को छोड़ देने पर इस बात पर विचार किया जाय कि अछूत शुरु से ही गाँव के बाहर क्यों रहते थे।

आदिम समाज रक्त सम्बन्ध पर आधारित कबायली समूह था मगर वर्तमान समाज नस्लों के समूह में बदल चुका है। साथ ही साथ आदिम समाज खानाबदोश जातियों का बना था और वर्तमान समाज एक जगह बनी बस्तियों का समूह है। इस यात्रा में ही हमारे प्रश्न का उत्तर है।

आदिम लोग पशुपालन करते और अपने पशुओ को लेकर कहीं भी चले जाते। ये बात भी याद रहे कि ये कबीले और जातियां पशुओं की चोरी और स्त्रियों के हरण के लिये आपस में अक्सर युद्ध करते रहते। इन युद्धों दौरान जो दल परास्त होता वह टुकड़े टुकड़े हो जाता और इस तरह परास्त हुए लोग छितरे बिखरे हो कर इधर उधर घूमते रहते। आदिम समाज में हर व्यक्ति का अस्तित्त्व अपने कबीले से हो कर ही होता था, कोई भी व्यक्ति जो एक कबीले में पैदा हुआ हो वह दूसरे कबीले में शामिल नहीं हो सकता था। तो इस तरह से छितरे व्यक्ति (broken man) एक गहरी समस्या के शिकार थे।

आदिम मानव को जब एक नई संपदा- भूमि का पता चला तो उनका जीवन धीरे धीरे स्थिर हो गया। पर सभी घुमन्तु कबीले और जातियां एक ही समय पर स्थिर नहीं हुए। कुछ स्थिर हो गये और कुछ घुमन्तु बने रहे। तब घुमन्तु लोगों को बसे हुए लोगों की सम्पत्ति देख कर लालच होता और वे उन पर हमला करते। जबकि बसे हुए लोग, अपना घर बार छोड़कर इन घुमन्तुओ का पीछा करना और मारकाट करना नहीं चाहते थे, और वे अपनी रक्षा में कमज़ोर हो गए थे। उन्हे कोई ऐसे लोग चाहिये थे जो घुमन्तुओं के आक्रमण में उनकी पहरेदारी करें। दूसरी तरफ़ छितरे लोगों की समस्या थी कि उन्हे ऐसे लोग चाहिये थे जो उन्हे शरण और संरक्षण दे।

इन दोनों समूहों ने अपनी समस्या को कैसे सुलझाया इसका हमारे पास कोई दस्तावेज़ कोई प्रमाण नहीं है। जो भी समझौता हुआ होगा उसमें दो बाते ज़रूर विचारणीय होगीं- एक तो रक्त सम्बन्ध और दूसरी युद्ध नीति। आदिम मान्यता के अनुसार रक्त सम्बन्धी ही एक साथ रह सकते हैं और युद्ध नीति के अनुसार पहरेदार को चाहिये कि वह सीमाओं पर रहें।

पर इस बात का क्या कोई ठोस प्रमाण है कि अछूत छितरे हुए व्यक्ति ही हैं?

6 टिप्‍पणियां:

रेवा स्मृति (Rewa) ने कहा…

Manu koun hota hai jiske baton per ham educated log aaj tak aankh band kar chal rahe hein? ham insan ki sabse badi pahchan insaniyat hai jo khota ja raha hai. Agar yeh vedon mein bhi likha hota to bhi sweekar karne yogya nahi hai.

rgds.
www.rewa.wordpress.com
R S Pandit.

इंद्रधनु ने कहा…

"Achhut" people used to clean the town, n "Maila" as well. They used to clean dead animals also. By handling all this dirt some different kind of smell used to spread around them n their clothes. Their immunity was strong as they had habit of all this from birth, but it was supposed to spread diseases in other people, which was the reason they stayed out of the town according to me.

TWINKI ने कहा…

If it is like this, then if such people who cleaned dirt would have not done all such things and people need to clean such things by there own then they would have thrown out of their home by their families isn't it?

If a mother cleans potty of her infant then she might become intouchable isn't it?

The reasons which are given to keep intouchable out of the village are illogical.

Logical and educated minds don't go through such illogical things.


TWINKI ने कहा…

If it is like this, then if such people who cleaned dirt would have not done all such things and people need to clean such things by there own then they would have thrown out of their home by their families isn't it?

If a mother cleans potty of her infant then she might become intouchable isn't it?

The reasons which are given to keep intouchable out of the village are illogical.

Logical and educated minds don't go through such illogical things.


TWINKI ने कहा…

If it is like this, then if such people who cleaned dirt would have not done all such things and people need to clean such things by there own then they would have thrown out of their home by their families isn't it?

If a mother cleans potty of her infant then she might become intouchable isn't it?

The reasons which are given to keep intouchable out of the village are illogical.

Logical and educated minds don't go through such illogical things.


Unknown ने कहा…

आधुनिक युग के मनु, महान मनीषी, मानवीय दृष्टिकोण के पुरोधा, वास्तविक समतामूलक समाज के लिए संघर्ष करने वाले तथा मानवता के पथप्रदर्शक डा0 भीमराव अंबेडकर को पूर्वाग्रह से मुक्त होकर गंभीरतापूर्वक जानने की आवश्यकता है। हजारों साल पुरानी तत्कालीन समाज के लिए बनाई गई वर्ण व्यवस्था, आज जातिव्यवस्था में बदलकर अब तो इतनी घृणित हो गई है कि एक ही जाति के लोग अपनी ही जाति के लोगों को हीन समझते हैं ।समाजशास्त्रियों,बुद्धिजीवियों,राष्ट्रहितैषियों के लिए यह चिंतन-मनन का विषय है ।शान्ति प्रकाश शास्त्री ।